"रिमझिम बारिश के तले रोम-रोम तक तर होने की तमन्ना
बहती हवा के हर ठंडे छोंके को आगोश में समेटने की तमन्ना,
और दुनिया के हर दुखड़े को दो पल के लिए दरकिनार करते हुए
खुशगवारी में गोते खाने की तमन्ना"।
सोमवार को मौसम ने हसीन करवट ली। इंडिया गेट पर मिजाज़ खुशगवार हो गया। तालाब के अधगंदले पानी में उतकर छपछप करने में जो हिचकिचाहट लोगों को शुरू में महसूस हो रही थी, बारिश से हुए कातिलाना मौसम ने उसे भी फुर्र कर दिया । अधगंदले पानी में जम कर मस्तियां हुईं। कोई अकेला, कोई दुकेला तो कोई परिवार और मित्र मंडली में मस्तियां बटोरने में बेखबर था। शहर की तिलमिला देने वाली गर्मी से लोगों का पहला ही ब्रेक था।
बनारस से अपने दोस्तों के साथ दिल्ली घूमने आए मनोज कहते हैं, "इसे अपनी खुशनसीबी ही समझूंगा कि जो छाता दिल्ली की तपती धूप से बचने के लिए लाया था वह अब बारिश के लिए खुला है"।
इंडिया गेट पर काफी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। मस्ती में मदहोश और सराबोर ये लोग यहां सुबह से ही अपने परिवार के साथ जुटना शुरु हो गए थे। फिर लंच से डिनर तक सब कुछ यहीं हुआ।
इंडिया गेट में डेरा डाले गृहिणी साधना कहती हैं, "खाना-वाना सब कुछ पेक करके आए हैं। पड़ोसी भी साथ आए हैं। पति को ऑफिस फोन कर दिया है वह भी सीधा यहीं आ रहे हैं"।
दिल्ली की तपिश में जब लोग ऑफिस में एसी का सुख भोग रहे होते हैं उस वक्त यहां घूमने आए लोग और यहां धंधा जमाने आए लोग तपती गर्मी में झुलस रहे होते हैं। लेकिन सोमवार का दिन कुछ अलग सी कहानू बयां करता है। यह दिन यहां के घुमंतुओं और धंधापरस्तों के लिए एसी में बैठे लोगों के मकाबले ज्यादा सुकून भरा था।
इंडिया गेट का विहंगम दृश्य
रोजी-रोटी और ऐश परस्ती के बुलबुले
6 comments:
The finest coverage of wet weather in Delhi I've seen. Not in any newspaper, not in any channel.Only here.Though textwise u could have done more.
wah wah!!!! maja a gaya sandeep sir........aaj to dilli me khoooob jhama jham hui.....i agree with gajendra's comment......lekin ek baat hai,pani se achi or saaf to dilli ki titliya lag rahi thi!!!!! all credit to uuuuuu..
keep it up...
wishes for hardwork.
sukh sagar singh bhati
http://discussiondarbar.blogspot.com
photos bahut hi achhe hai,, india gate ka vihangam drisya or lattu miya,, kya kahne...
post ki suruaat achhi lagi,, post padne ke baad sach me laga maine miss kar di ye masti..
संदीप भाई,
माफी चाहता हूं पर इस बार पढ कर
ज्यादा मजा नही आया क्या करु फोटो ही इतने अच्छे थे....
मौसम पर बहुत से चैनलो के लाईव हुए..पर ये मीडियम की मजबूरी कह लीजिए..या नजर का नदारद होना....टीवी या प्रिंट पर कुछ ऐसा नही दिखा.
आपका पाठक
अभिषेक बी सांख्यायन
hi sandeep sare lekh aur unse jude photograph ache laga. fata poster nikala hiro wali kahani behtari hai.acha kaam kar rahe ho.karte raho hume bhi story idea milta rahega.
last line majak nahi hai.sach main story idea milta hai tumhari story se.thanks.churayenge nahi.darna mat ye mera nature nahi.
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