जिया सराय की गलियां। लेख व सभी : फोटो संदीप शर्म |
बरसात की खुशियां बटोरता देख रहा था। कोई भीगने को आतुर तो कोई बचने की कोशिश में भीगा जा रहा था। साथ में इंडियंन एक्सप्रेस स्कैन कर रहा था। फ्रंट पेज पर द ड्रुक व्हाइट स्कूल के बच्चों के साथ आमिर खान की फोटो छपी थी। लेह में बादल फटने से यह स्कूल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है।
लेह में बरसात का कहर बरपा और कईं लोग मारे गये और अन्य कईं बेघर गए। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुजफ्फरगढ़ में भी स्थिति नाजुक बताई जा रही है। बरसात आपा खो बैठी थी। अति बरसात ने सब तहस-नहस कर दिया। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर बरसात हो रही है। बेशक दिल्ली चारों तरफ से खुदी पड़ी है फिर भी दिल्लीवासी बरसात का आनंद ले रहे हैं। बरसात आपे में रहे तभी खैरियत है।
अति का अंजाम बुरा। चाणक्य के शब्दों में कुछ इस तरह .......
अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावण ।
अतिदनात् बलिर्बध्दो अति सर्वत्र वर्जयेत् ।।
अति सुंदरता के कारण सीता का हरण हुआ। अति दंभ के कारण रावण मारा गया । अति दयालुता के कारण राजा बली संतट में फंसा। अर्थात् अति की हर चीज बुरी होती है।
बरसात में दुकेली
कतरा-कतरा भीगने की इच्छा
चाय के ठेले पर भीड़ से पहले का सन्नाटा
तर-तर होती गलियां
लेखक मिज़ाज लोगों के लिए बरसात सौगात से कम नहीं। ऐसे मौसम में ही तो असली लेखक के बाहर आने की संभावनाएं बनती है। दिन भर की बारिश और राष्ट्रमंडल खेलों के साये में बिजली कट। बाहर गिरती झमाझम बारिश और भीतर बलखाती मोमबत्ती की लौ। कभी-कभी दिल्ली पूरा देहात लगने लगता है। बारिश के शोर में फीका पड़ता महानगरीय शोर और मोम तले लेखिनी पर पड़ता जोर। क्या रिदम बनता है। सुहानअल्हा । बचपन सा लगने लगाता। किरोसीन के दिये की फड़फडाती लौ कभी-कभी यादों में फिर जल उठती है। शाम होने पर दिए के घेरे में बैठकर सभी भाई-बहनों का पढ़ना-लिखना। अब तो जमाना सा निकल गया है। कटवरिया, जिया सराय, मुनिरका और बेर सराय में इन दिनों काफी बिजली कट लग रहे हैं। पढाकू प्रवासियों का एरिया है। बिजली कट के विकल्प की तलाश और तलाश में पहले स्थान पर मोमबत्ती । कैंडललाइट डिनर फैशन है लेकिन कैंडललाइट स्टडी एक मजबूरी।
मोमबत्ती के सामने शीशा रखने से रोशनी दोगुनी हो जाती है।
1 comment:
going great...
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