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Friday, June 04, 2010

भोपाल के मीठे सूरदास

भोपाल में बस नंबर सात की सवारी करते राज कमल। लेख और सभी फोटो : संदीप शर्मा

(मिजाज़ों के शहर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में)
खुरई-सागर का राज कमल दोनों आंखों से अंधा है। उसकी आंखों के लिए बेशक ये दुनिया बेरंगी हैं लेकिन उसकी मिजाज़ की रंगीनियत से यह दुनिया उसके लिए और भी रंगीन बन गई है। सपने देखने की फितरत और उन्हें साकार करने का ज़ुनून ही उसका जीवन दर्शन है।

भोपाल रेलवे स्टेशन के गेट नंबर पांच के बाहर बस स्टेशन पर अपने कानों के सहारे राज कमल बस नंबर टटोल रहा था। इतने में एक महाशय राज कमल को बाजू से पकड़ कर बस नंबर पांच की चौखट से सटा देते हैं। राज कमल हाथों से बस की सीट को टटोलते हुए मेरे से सट कर बैठ जाता है। उसकी खड़ी गर्दन, गर्दन पर लटका गमछा और दानों हाथों में मजबूती के साथ पकड़े डंडे पर मेरी सोच अटक गई। पूछा, "कहां जाओगे भाई"? उत्तर मिला, "शिवराज से मिलनें"। मैं अभी सोच ही रहा था कि राज कमल फिर शुरू हो गया, "सीएम से मिलने जाना हैं, सीएम नहीं जानते शिवराज सिंह चौहान। तबला और हरमोनियम खरीदने के लिए 8-10 हज़ार रुपये की जरूरत है। पिछली बार तो सिक्योरिटी वालों ने मिलने नहीं दिया लेकिन इस बार.....इस बार पॉलटेक्निकल कॉलेज के एक दोस्त ने कहा है कि वह मुझे सीएम से मिलाएगा। इसलिए उस दोस्त के पास ही जा रहा हूँ'"।

मैंने राज कमल से जब उसके संगीत के शौक के बारे में और जानना चाहा तो महाशय अपने को रोक नहीं पाए और गाना ही शुरु कर दिया, "चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है..... कुमार शानू ने गाया है और नाम फिल्म से है। खाना खाए बिना रह सकता हूं लेकिन गाना गाए बिना नहीं। देहरादून, दिल्ली और भोपाल में संगीत की शिक्षा ली है। पैसा का जुगाड़ हो जाए तो बस अपनी एक संगीत मंडली शुरू कर दूंगा राज कमल के साथ यह बात चीत बस में बैठे लोगों को अजीब जरूर लग रही थी लेकीन वे इसको अनसुना नहीं कर पा रहे थे।

राज के परिवार में उसकी पांच बहनों के अलावा उसके माता-पिता है। पांचों बहनों की शादी हो चुकी है और माता-पिता गांव की दो एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। बचा राज कमल सो उस पर हर पल संगीत का ज़ुनून सवार रहता है।

घर पर रहता है तो राज कमल जम कर रेडियो सुनता है। विविध भारती को वह अपना हमसफर मानता है। राज बताता है, "निम्मी मिश्रा के कार्यक्रम में एक बार फोन लगा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने बोला, 'हेलो मेम मैं राज कमल बोल रहा हूं, मुझे आपकी आवाज बहूत अच्छी लगती है । इसके बाद फोन फिर नहीं लगा लेकिन कार्यक्रम में पत्र तो अब भी शामिल होते क्या क्या'।

विविध भारती के 'चित्रलोक' कार्यक्रम से लेकर 'एक ही फिल्म से' कार्यक्रम तक और निम्मी मिश्रा से लेकर युनूस खान तक सभी प्रस्तोताओं के नाम राज कमल को उंगली पर याद हैं। राज कमल अपने इन चहेते सितारों से मेलने मुंबई जाना चाहता है। उसके यही लोग अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और कैटरीना कैफ है।

बस के इंजन के शोरगुल और स्टीरियो पर बजते गानों के बीच उसकी मधुर सी गुनगुनाहट मुझे बेचैन सी कर रही थी। बेचैनी यही थी कि आवाज के इस उस्ताद को क्या कभी ब्रेक मिलेगा और क्या यह अपने सपनों के सितारों से कभी मिला पाएगे।

बस इसी बात चीत और छटपटाहट के बीच बस एक स्टॉप पर आकर रुक गई। कंडक्टर ने राज कमल को बाह के सहारे बस से उतार दिया। मेरी नज़र कंडक्टर पर थी कि क्या वह राज से किराया लेगा कि नहीं। कंडक्टर ने किराया नहीं लिया तो दिल को थोड़ा सुकून सा मिला।

गाने के बोल है 'चिट्ठी आई है , आई है चिट्ठी आई है'।

पान रस का शौक भी रखते ही राज कमल
सपने साथ हो तो एकला कौन

गीत तो जैसे उनकी जुबान से हर दम निकलने को आतुर रहते हैं ।